भारतीय क्षेत्र में जुगाड़ से आधार कार्ड बनवा रहे नेपाली नागरिक,विदेश भेज रहे दलाल
भारतीय क्षेत्र में जुगाड़ से आधार कार्ड बनवा रहे नेपाली नागरिक,विदेश भेज रहे दलाल
महराजगंज। भारतीय क्षेत्र में जुगाड़ से बना पहचानपत्र नेपाली महिलाओं और युवतियों को विदेश जाने में मददगार साबित हो रहा है। इससे कोई खतरा भी नहीं है उनका काम आसानी से हो जा रहा है। इसमें जुटे दलाल मोटी रकम कमा रहे हैं।
विदेश में नेपाली नागरिकों के फंसने के कारण नेपाली नागरिकों को विदेश जाने से रोकने के लिए नेपाल सरकार ने नियम सख्त कर नेपाली नागरिकों को विदेश जाने से रोकने के लिए नियम सख्त कर दिया है। वहीं दूसरी ओर कायदे कानून का फायदा नेपाली नागरिक उठा रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि भारतीय क्षेत्र में कुछ वक्त गुजारने के बाद जुगाड़ से आधार कार्ड बनवाकर नेपाली नागरिक विदेश चले जा रहे हैं। भारतीय पहचानपत्र बनने के बाद उनकी समस्या दूर हो जाती है।
बीते दिन पकड़ी गई महिला के पास से जो प्रपत्र बरामद हुए हैं उससे यही पता चल रहा है कि भारतीय क्षेत्र में जुगाड़ से पहचानपत्र बनवाकर हांगकांग जाने की योजना बनाई थी।
नेपाल सरकार की ओर से अकेले महिला और युवती को काम करने के लिए हांगकांग जाने से रोक है। परिवार के साथ जाने पर रोक नही होने की बात कही जाती है। विदेश में काम करने के लिए जाने की इच्छुक महिलाएं पहचानपत्र बनवाकर चली जाती हैं।
सूत्रों की माने तो नेपाली महिलाएं भारत में उन क्षेत्र में रहकर कुछ दिन काम करती हैं, जहां नेपाल के लोगों की अच्छी खासी आबादी है। यहां रहने पर कोई परेशानी भी नहीं होती है। इस खेल में विदेश भेजने वालों के एक सिंडिकेट के भी काम करने की बात कही जा रही है। उन्हीं के जरिए नेपाल से महिलाएं व युवतियां भारतीय क्षेत्र में आती हैं। यहां कुछ दिन वक्त गुजारने के बाद पहचानपत्र बनवाने के बाद पासपोर्ट बनवाकर विदेश चली जाती हैं। पहचानपत्र भारतीय होने के कारण कोई समस्या भी नहीं होती है।
बीते दिन भारत नेपाल मैत्री बस में नेपाली महिला शक के आधार पर पकड़ी गई तो हकीकत सामने आ गई। उसके पास से पासपोर्ट बरामद हुआ। अपने हिसाब से नाम रखकर प्रमाणपत्र बनवा लिया जाता है। सूत्रों की माने तो यह सिंडिकेट देश के बड़े महानगरों में तेजी से काम कर रहा है। उनके एजेंटों का नेटवर्क नेपाल में फैला हुआ है। क्षेत्राधिकारी नौतनवा जय प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्र में कड़ी चौकसी की जाती है। मामले में सामने आने पर कार्रवाई की जाती है।
भारत में नौकरी के बहाने बनाते हैं ठिकाना
नेपाल से रोक के बाद और हवाई उड़ान नहीं होने के कारण केवल सोनौली सीमा से रोजाना 500 नेपाली युवक-युवती भारत में प्रवेश करते हैं। कुछ जो ऐसी जगह जाना चाहते हैं, जहां पर नेपाल सरकार ने रोक लगा रखी है। इसके लिए भारत में नौकरी के बहाने आ रहे हैं। कुछ दिन रहने के बाद भारत का पहचानपत्र बनवाने के बाद विदेश चले जाते हैं। खाड़ी देशों में नेपाली युवतियों को जाने से रोकने के लिए नेपाली सीमा बेलहिया में तीन सामाजिक संस्था काम करती है।
आधार बनने के बाद दस्तावेज आसानी से हो जाता है तैयार
बीते शुक्रवार को सोनौली सीमा पर पकड़ी गई नेपाली युवती से यह खुलासा हुआ कि भारत के अन्य राज्यों में कुछ दिन नौकरी करने के बाद पहले आधार कार्ड बनवाया जाता है। उसी से अन्य दस्तावेज आसानी से बन गए। सूत्रों की माने तो कुछ दिन पूर्व बैंकाक में नेपाली दूतावास ने बताया कि नेपालियों को अपना देश छोड़कर विदेशी रोजगार के लिए आवश्यक श्रम परमिट मानदंडों को पूरा किए बिना अनुमति न दी जाए। वहीं नेपाली दूतावास ने बैंकाक सरकार से विदेशी रोजगार प्रक्रिया का पालन करने का आग्रह किया है, क्योंकि उसे कंबोडिया, लाओस, म्यांमार और थाईलैंड जैसे देशों में फंसे नेपाली नागरिकों को बचाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
मानव तस्कर दिलाते हैं भारतीय पहचानपत्र
नेपाल से विदेश में घरेलू काम के लिए जाने पर सरकार ने रोक लगाई है। कुछ दलाल भारत में बने कागजात के आधार पर इन्हें विदेश भेज रहे हैं। भारत से विदेश जाने वाले नेपाली युवतियों को दिल्ली स्थित नेपाली दूतावास से नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट की अनिवार्यता से दलाल भारत के पासपोर्ट पर नेपाली युवतियों को विदेशों में भेज रहे हैं। दलाल भारतीय पासपोर्ट बनवाकर विदेश भेज देते हैं। इसके लिए उनकी ओर से सभी जरूरी प्रक्रिया पूरी की जाती है। इसमें कोई शिकायत नहीं होने पर मामला पकड़ में भी नहीं आता है।
69 महिला और युवतियों को बचाकर परिजनों को सौंपा
स्वयंसेवी संस्था माइती नेपाल की अध्यक्ष माया खत्री ने बताया कि पुरुष एवं फैमली के साथ हांगकांग जाने पर रोक नहीं है। अकेली महिला और युवती को जाने पर सरकार की ओर से रोक लगी है। सोनौली सीमा से भारत जाने वाली महिलाओं और किशोरियों को रोका जाता है। उन्हें सेल्टर होम में रखकर पुलिस की मदद से उनके परिजनों को सौंप दिया जाता है। बीते वर्ष 2024 में 166 और 2025 अप्रैल माह तक 69 महिला और युवतियों को बचाकर उनके परिजनों को पुलिस की मदद से सौंपा गया। मानव तस्करी के रोकथाम के लिए सीमावर्ती क्षेत्र में प्रत्येक सप्ताह जागरूकता का कार्यक्रम आयोजन किया जाता
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